मिट्टी की लक्ष्मी पूज रहे, घर की लक्ष्मी को कूट रहे।
बड़े बड़े परिवारों में पति-पत्नी रिस्ते टूट रहे।।
पहले घर की लक्ष्मी पूजो, मिट्टी की लक्ष्मी ख़ुश होगी।
घर की लक्ष्मी जब सुखी नहीं मिट्टी की लक्ष्मी क्या देगी।।
घर की लक्ष्मी ही लक्ष्मी है, वो तो मिट्टी की मूरत है।
जीवन भर साथ निभाती है साक्षात लक्ष्मी सूरत है।।
सुख-दुख में साथ निभाती है पत्नी बन कर घर आती है।
मां, भगिनी और मित्र भी बन हर कर्तव्य निभाती है।।
कमजोर पड़े यदि कभी भी तुम तो बैसाखी बन जाती है।
यमदूतों से प्राण बचा कर सावित्री भी बन जाती है।।
पत्नी का मान सदा रखना वो तो बस प्रेम चाहती है।
प्रेम के बदले प्रेम ही क्या तन,मन अर्पण कर जाती है।।
दीपावली पर्व पर हम सब मिल कर त्योहार मनाएंगे।
माता-पिता परिवार के संग मां लक्ष्मी के दीप जलाएंगे।।
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर
shweta soni
28-Nov-2022 12:25 AM
👌👌👌
Reply
Shashank मणि Yadava 'सनम'
27-Nov-2022 06:44 PM
बहुत ही सुंदर सृजन
Reply
Rajeev kumar jha
27-Nov-2022 05:54 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
Reply